tag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post2318303458599773199..comments2023-10-16T01:07:46.054-07:00Comments on काहे को ब्याहे बिदेस....: कहीं तुम उन्हे मसीहा और दोस्त ना समझ लो....neerahttp://www.blogger.com/profile/16498659430893935458noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-50984776356758614412009-11-14T00:54:46.702-08:002009-11-14T00:54:46.702-08:00.. ऐसा क्यों लगता है वह तुम्हारे साथ डिब्बे में सफ..... ऐसा क्यों लगता है वह तुम्हारे साथ डिब्बे में सफ़र करना चाहते हैं, खिड़की वाली सीट तुम्हें दे तुम्हारी किताब मांग कर पढ़ना चाहते हैं,... तुम्हारे पाँव की यात्रा कि लम्बाई जानना चाहते हैं... तुम्हारे दर्द की गठरी खुलवा उसमें मुसे पड़े दर्द को इस्त्री कर, जिससे की वो दिल और आँखों को कम से कम चुभे, करीने से लगाना चाहते हैं , .... वो धरकनो के पन्ने पलट, प्यार में मिले जिंदा पलों कि खुशबू सुंघ और उसमे मिले आंसू को गिन तुम्हे पाब्लो नरूदा की कविता सुना, प्यार में खोया विशवास लौटाना चाहते हैं ...वो तुम्हारे नैन- नक्ष पर फितरे कस माथे के बलों की जगह तुम्हारे चेहरे पर हंसी की खेती करना चाहते हैं ... वो तुमसे तुम्हारे गुनाह उगलवा उन्हें तराजू में रख तुम्हारा पलड़ा अपने से हल्का बता डंडी मारना चाहते हैं... वो तुम्हारे बचपन में लगी चोट के निशाँ की कहानी कोरी किताबों के पन्नो को सुनना चाहते हैं <br />neera ji kuch nahi kahunga <br />nirmal verma ke baad sabdo ki behti aisi nadi mein pahli baar mein nahaya hun.....wah...aapka bhavishya aur hamare sahitya ka ujla bhavishya mein dekh reha hun...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12938650631044447394noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-91686005058467848172009-11-13T14:49:37.807-08:002009-11-13T14:49:37.807-08:00भावनाओं और सुंदर शब्दों का ऐसा सामंजस्य जो गद्य हो...भावनाओं और सुंदर शब्दों का ऐसा सामंजस्य जो गद्य होते हुए भी काव्यात्मकता का पुट लिए हुए है. अद्भुत प्रस्तुति. बधाई. <br /><a href="http://mahavirsharma.blogspot.com" rel="nofollow">महावीर शर्मा</a>महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-45439865462437260432009-11-10T07:13:38.738-08:002009-11-10T07:13:38.738-08:00..नीरा जी हर शब्द सर माथे पर ,हर भाव धडकनों की नाद.....नीरा जी हर शब्द सर माथे पर ,हर भाव धडकनों की नाद में, रात सोते वक़्त इन्हें दोहराउंगी मन ही मन ...ताकि अर्थों को सन्नाटे में सुन सकूं ...बधाई-बधाईविधुल्लताhttps://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-28825304049567973542009-11-10T04:39:23.964-08:002009-11-10T04:39:23.964-08:00अच्छे राईटर की यही पहचान है, 'हुंह' पर कहा...अच्छे राईटर की यही पहचान है, 'हुंह' पर कहानी लिख देता है... जैसे आपने 'कैसी हो' पर...सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-49386949238572522332009-11-09T11:46:24.065-08:002009-11-09T11:46:24.065-08:00यही हकीक़त है और यही प्यार की एक कहानी कुछ शब्द ऐस...यही हकीक़त है और यही प्यार की एक कहानी कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो हर कोई नहीं समझ पाता या उनके जीवन इन शब्दों का कोई मोल ही नहीं लेकिन ये छोटा सा शब्द भी "कैसे हो" किसि३अप्ने का एहसास दिला जाता है जैसे कोई अजनबी एक दम से इतना करीब आ गया हो जितना इश्वर से वंदना,और ये वही समझ सकता है जो प्यार के महत्व को जनता हो उसे समझता हो.......आप उनमे से एक हैं./<br /><br />माफ़ी चाहूंगा स्वास्थ्य ठीक ना रहने के कारण काफी समय से आपसे अलग रहा <br /> <a href="http://akshaya-mann-vijay.blogspot.com/" rel="nofollow"><br />अक्षय-मन "मन दर्पण" से </a>!!अक्षय-मन!!https://www.blogger.com/profile/05340059809215740706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-20281806304058215342009-11-09T09:11:32.846-08:002009-11-09T09:11:32.846-08:00ऐसा क्यों लगता है वह तुम्हारे साथ डिब्बे में सफ़र ...ऐसा क्यों लगता है वह तुम्हारे साथ डिब्बे में सफ़र करना चाहते हैं, खिड़की वाली सीट तुम्हें दे तुम्हारी किताब मांग कर पढ़ना चाहते हैं,... तुम्हारे पाँव की यात्रा कि लम्बाई जानना चाहते हैं... तुम्हारे दर्द की गठरी खुलवा उसमें मुसे पड़े दर्द को इस्त्री कर, जिससे की वो दिल और आँखों को कम से कम चुभे, करीने से लगाना चाहते हैं , .... <br /><br />Vicharon ka kamaal...प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-81959997260566140482009-11-09T06:19:53.698-08:002009-11-09T06:19:53.698-08:00निखरती ही जा रही है आपकी भाषा
वैसे न जाने क्यूं उ...निखरती ही जा रही है आपकी भाषा<br /><br />वैसे न जाने क्यूं उदय प्रकाश की वो पंक्तियां याद आ गईं<br />मैने अपने दोस्त को ख़त लिखा/यहां सब ठीकठाक है/उसने लिखा यहां भी सब ठीक है/… दोनों हैरान हैं!!Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-53674439075468831162009-11-09T02:57:30.272-08:002009-11-09T02:57:30.272-08:00आपकी शैली, आपकी शब्द योजना सब कुछ पाठक को बांध सा ...आपकी शैली, आपकी शब्द योजना सब कुछ पाठक को बांध सा लेती है। <br />------------------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">और अब दो स्क्रीन वाले लैपटॉप।</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">एक आसान सी पहेली-बूझ सकें तो बूझें।</a>Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-70637056221370434462009-11-07T12:23:34.840-08:002009-11-07T12:23:34.840-08:00हर मन में है चाह ऐसे एक आदमी से मिलने की !
पता न...हर मन में है चाह ऐसे एक आदमी से मिलने की ! <br /><br />पता नहीं सच में भी होते हैं की नहीं !अर्कजेशhttp://www.arkjesh.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-37984448592571448242009-11-07T09:27:19.708-08:002009-11-07T09:27:19.708-08:00pahli line hi apne aap me puri rachna hai....theek...pahli line hi apne aap me puri rachna hai....theek hun kah dena or dono jante hai theek hun ka matlab theek nahi...khush hun ka matlab khush nahi hun....aisa laga koee kavita padh rahi hun....डिम्पल मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07224725278715403648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-88478090709326614852009-11-07T08:59:29.695-08:002009-11-07T08:59:29.695-08:00कोई मसीहा होने का दावा नहीं है इन लोगों का,हमारे ह...कोई मसीहा होने का दावा नहीं है इन लोगों का,हमारे ही बीच के हम जैसे लोग.किसी महागाथा के नायक नहीं पर असल जीवन के नायक.हमारी ज़िन्दगी में मुस्कान देकर आम लोगों की रेलमपेल में खो जाते है.<br />यहाँ पूरी गरिमा के साथ खड़े,चमकते.<br />शुक्रिया आपका.गद्य की तारीफ के कोरस में एक स्वर मेरा भी मान लीजिये.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-16841938788476127942009-11-06T23:35:54.132-08:002009-11-06T23:35:54.132-08:00नीरज जी और अपूर्व के कह लेने के बाद, मेरा कहा क्या...नीरज जी और अपूर्व के कह लेने के बाद, मेरा कहा क्या मायने रखेगा...<br /><br />शब्दों की ये बुनावट कि गद्य भी नज़्म का गुमान दे, कोई जादूगर ही कर सकता है।<br /><br />दर्द को इस्त्री करने वाली बात हो या चेहरे पर हंसी की खेती करने का जिक्र या...या फिर गुनाह को तराजु में तौलते हुये डंडी मारने वाला कथन----आह! बिम्बों की इस अनूठी जननी को सलाम मेरा!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-88813575864511653072009-11-06T19:48:15.670-08:002009-11-06T19:48:15.670-08:00एक जादुई लेखन पढने के लिए मुझे जो तोहफा मिला है उस...एक जादुई लेखन पढने के लिए मुझे जो तोहफा मिला है उसका नाम है काहे को ब्याहे बिदेस, कहानिया और उनके भीतर के पात्रों को देखती हूँ अपने आस पास. सुंदर और गहरा लेखन.Neha Devhttps://www.blogger.com/profile/16949522092615457973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-55534490519957880002009-11-06T10:02:17.868-08:002009-11-06T10:02:17.868-08:00कई बार पढ़ चुका हूँ
कहने को बहुत कुछ है शब्द नहीं ह...कई बार पढ़ चुका हूँ<br />कहने को बहुत कुछ है शब्द नहीं है.के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-3645846932638421462009-11-06T09:20:16.963-08:002009-11-06T09:20:16.963-08:00नीरा जी हर शब्द के कहे जाने पर निर्भर करता है कि उ...नीरा जी हर शब्द के कहे जाने पर निर्भर करता है कि उसमें कितनी आत्मीयता है ....'कैसी हो' शब्द तो वही है पर उसमें अगर प्रेम घुल जाये तो वही शब्द दुनिया का सबसे हसीं शब्द हो जाता है ....<br />आपने तो गज़ब ढाया है ....<br /><br />ऐसा क्यों लगता है वह तुम्हारे साथ डिब्बे में सफ़र करना चाहते हैं, खिड़की वाली सीट तुम्हें दे तुम्हारी किताब मांग कर पढ़ना चाहते हैं,... तुम्हारे पाँव की यात्रा कि लम्बाई जानना चाहते हैं... तुम्हारे दर्द की गठरी खुलवा उसमें मुसे पड़े दर्द को इस्त्री कर, जिससे की वो दिल और आँखों को कम से कम चुभे, करीने से लगाना चाहते हैं , .... वो धरकनो के पन्ने पलट, प्यार में मिले जिंदा पलों कि खुशबू सुंघ और उसमे मिले आंसू को गिन तुम्हे पाब्लो नरूदा की कविता सुना, प्यार में खोया विशवास लौटाना चाहते हैं ....<br /><br />आपके उस मसीहा से रश्क हो रहा है हमें तो ......!!<br /><br />आगे नीरज जी पंक्तियाँ जोड़ लीजियेगा ....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-72841144965444476532009-11-06T08:04:10.117-08:002009-11-06T08:04:10.117-08:00कितने धाम घूमने का, कितनी मस्ज़िदों की इबादत, चर्च ...कितने धाम घूमने का, कितनी मस्ज़िदों की इबादत, चर्च की कैंडल्स का पुण्य जरूरत पड़ता होगा शब्दों मे इतनी शिद्दत, कलम मे इतनी बेचैनी, मआनी मे इतनी पैनी धार भरने के लिये..सोच रहा हूँ<br />फ़िलहाल समंदर खंगाल कर नेट से परवीन शाकिर की इस नज़्म को पकड़ कर ला रहा हूँ..सिर्फ़ वही इस पोस्ट के किसी कमेंट से जस्टिस करती लगी है..<br /><br />अजीब तर्ज-ए-मुलाकात अब के बार रही<br />तुम्हीं थे बदले हुए या मेरी निगाहें थीं<br />तुम्हारी नजरों से लगता था जैसे मेरे बजाए<br />तुम्हारे ओहदे की देनें तुम्हें मुबारक थीं<br /><br />सो तुमने मेरा स्वागत उसी तरह से किया<br />जो अफ्सरान-ए-हुकूमत के ऐतक़ाद में है<br />तकल्लुफ़ान मेरे नजदीक आ के बैठ गए<br />फिर एहतराम से मौसम का जिक्र छेड़ दिया<br /><br />कुछ उस के बाद सियासत की बात भी निकली<br />अदब पर भी दो चार तबसरे फ़रमाए<br />मगर तुमने ना हमेशा कि तरह ये पूछा<br />कि वक्त कैसा गुजरता है तेरा जान-ए-हयात ?<br /><br />पहर दिन की अज़ीयत में कितनी शिद्दत है<br />उजाड़ रात की तन्हाई क्या क़यामत है<br />शबों की सुस्त रावी का तुझे भी शिकवा है<br />गम-ए-फिराक के किस्से निशात-ए-वस्ल का जिक्र<br />रवायतें ही सही कोई बात तो करते.....अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-11862266406464924532009-11-06T04:45:10.733-08:002009-11-06T04:45:10.733-08:00दिलकश! ऐसा खूबसूरत ताना बना बुना है, उलझ कर रह गए....दिलकश! ऐसा खूबसूरत ताना बना बुना है, उलझ कर रह गए...ऐसे पोस्ट की बार बार पढने का मन करे.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-11424814371448800202009-11-06T00:49:12.011-08:002009-11-06T00:49:12.011-08:00एक एक शब्द गूँज रहा हैं कानो में.. ठीक हूँ कहने पर...एक एक शब्द गूँज रहा हैं कानो में.. ठीक हूँ कहने पर कई लोगो को मेरे आस पास के धुए को समझते देखा है.. उम्दा क्रियेशनकुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-4210780444616516352009-11-05T23:26:34.087-08:002009-11-05T23:26:34.087-08:00खामोश हूं...ओर शब्दों की इस तान को सुन रहा हूं.......खामोश हूं...ओर शब्दों की इस तान को सुन रहा हूं....ओर पकड़ने की कोशिश.डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-61313787451254365412009-11-05T22:22:02.471-08:002009-11-05T22:22:02.471-08:00नीरज जी ने बिलकुल सही लिखा है
आपकी शैली, प्रवाह, ...नीरज जी ने बिलकुल सही लिखा है <br />आपकी शैली, प्रवाह, शब्द संयोजन सबकुछ बाँध लेता हैअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4663859798087063054.post-41428430871698491792009-11-05T22:20:33.574-08:002009-11-05T22:20:33.574-08:00आप बहुत अच्छा लिखती हैं...शब्दों का ऐसा मायावी जाल...आप बहुत अच्छा लिखती हैं...शब्दों का ऐसा मायावी जाल रचती हैं की पाठक अटक जाता है...आपके शब्द कौशल की जितनी तारीफ़ की जाय कम है...और भाव...वाह...सुभान अल्लाह...आपको पढना एक सुखद अनुभव से गुजरने जैसा है...लिखती रहें...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com