वह शाम ढलने से पहले ही उसके फोन का इंतज़ार करने लगा है और हर रिंग को उसका फोन समझ उतावला हो उठाता है और इसी गलती में एक दोस्त का फ़ोन उठा लिया, आजकल उसे एकांत पसंद है इसलिए वो सबसे दूरियां रखता है..... पर मना करने भी वो पीजा बॉक्स के साथ उसके पास आ धमका...अपने दोस्त से नजरें चुरा वो बार-बार सेल फ़ोन की और देखता है, रात के साड़े ग्यारह बजे उसकी बैचनी और पीने की रफ़्तार दोनों काफ़ी तेज़ हो गए हैं...
" साले तू पागल हो गया है उस गोरी के पीछे..... क्यों पी- पी कर अपने को मिटा रहा है तेरे से पहले कितने होंगे उसके और अब पता नही किसके पास सो रही होगी, शादी के बाद डाइवोर्स लेती... तुझे घर से बाहर करती.... अच्छा हुआ अभी पीछा छूटा" उसका दोस्त कहता है।
"देख तू उसके बारे में कुछ मत बोल, वो ऐसी नही है चार साल से उसे जानता हूँ क्या नहीं किया उसने मेरे लिए, जब भी यहाँ आती, फ्लैट साफ़ करती, किचन बाथरूम चमकाती, फ्रिज खाली देख सुपर मार्किट को दौड़ जाती। मेरे ऍम बी ऐ के एग्जाम की तैयारी उसी ने कराई, रात के तीन बजे तक बैठ कर मेरे नोट्स बनाए, मेरी सारी असाइंमेंट टाईप की, मेरी हर परेशानी और जिम्मेदारी उसने अपनी बना ली। मैं उसके परिवार का सदस्य बन गया था, उसका डेड मुझे सन- सन करके बुलाता था, उसकी माँ मेरे लिए केरेट केक बेक करती। वो मुझसे अक्सर पूछती अपने दोस्तों और परिवार से कब मिलवाओगे। गलती सारी मेरी है वो स्कुरीटी और स्टेबिलिटी चाहती थी और मैं उसे बिना अपनाए उसका सब कुछ, मुझे यकीन है अपनी गलती सुधारने का एक मौका जरूर देगी. तुम्हे नहीं मालूम उसने...
तभी एस ऍम एस आता है वो झपट कर टेबल से फ़ोन उठाता है और बिना आँख झपके उसे पढ़ता है "देखो मेरे साथ कोई और मूव हो गया है मैंने अपने फ्लैट का ताला आज बदल लिया है यदि तुम चाबी ना भी लौटाना चाहो तो कोई बात नही"
वो बाथरूम जाने का बहाना बना, वाश बेसिन का टैप खोल, शीशे के सामने अपनी नम आखों को पोंछ, मुस्कुराने की कोशिश करता हुआ बाहर आता है मोबाइल फ़ोन पर उसे उतार उसके लंबे बाल, नीली आखों और पतले होठों की तारीफ़ करते हुए उसे अपने दोस्त से मिलवाता है और ग्लास को एक ही साँस में खाली करके, ... गंभीर होकर कहता है...
" यार वो ऐसी बिल्कुल नहीं है जैसा तू सोचता है.... "
पेंटिंग - मेग्गी जा