वो पहली बार केलिफोर्निया जा रही थी अपने भाई के पास, वो डाक्टरी पास करके वहां चला गया था, तब वो हाई स्कूल में थी और अब वह तेरह और नौ वर्ष के बच्चों की माँ है, वैसे सरकारी आदमी के लिए अमेरिका जाना कोई आसान काम नहीं, वह तो उनका सरकारी काम है और इनका साथ लटकने का अच्छा मौका... बिजनेस क्लास के टिकट के पैसे देकर सरकार ने पहली बार रहम किया और रही सही कसर एयर इंडिया ने पूरी कर दी बिजनेस क्लास के आराम ले लो या केटल क्लास में पत्नी का साथ....
वो कई महीनो से खरीददारी में लगी हैं उन्हें बचपन से मालूम है भाई को क्या पसंद है आम पापड़, हींग की चुरक की गोली, आटे के लड्डू, उरद की दाल के पापड़, दाल भजिया... वह सब जो यू पी के किसी भी शहर की हर नुक्कड़ की दूकान पर मिल जाता है चेनई जैसे शहर में बाज़ारों की ख़ाक छानने पर भी नहीं मिला, अंत में उन्होंने किसी से कहकर दिल्ली से ही खाने-पीने का सामान मंगवाया। उसकी बेटी के लिए कपड़े देख -देख कर थक गई है। ड्रेस देखी, लहंगे देखे, टॉप देखे पर वह सोचती है कपड़े पसंद ना आये या फिर छोटे-बड़े निकले तो... अंत में उन्होंने उसके लिए सोने की बालियाँ खरीद ली... दोनों भतीजों के लिए शेरवानी का सेट ... और उनकी भाभी के लिए साडीया देख-देख कर थक गए अंत में काले रंग की फेब इंडिया से पश्मीना शाल और सिल्क का चिकन की कढ़ाई का कुर्ता और चूडीदार...
उनके पास भाई के हजारों फोटो है जिनको वह स्कूल के ज़माने से बड़े गर्व से दिखाती आई है उन दिनों अपनी सहेलियों को और अब अपने बच्चों को ...उसका पांच बेडरूम का घर, इनडोर स्विमिंग पूल, चार बाथरूम, घर के पीछे मेहमानों की लिए कोटेज, घर के आगे पीछे एकड़ ज़मीन और पोर्च में कड़ी मरसेदीज़ और बी एम् डब्लू... सब कुछ हिंदी फिल्मों जैसा दिखता है ... खूबसूरत, रंगीन और स्वपनिल
अमेरिका से लौटे चार महीने हो चुके हैं वह उनसे तीसरी बार मिल रही है, हर बार पूछती है
"भाभी केलिफोर्निया कैसा लगा ?"
"बहूत अच्छा है घूमने लायक जगह है" वह मुस्कुरा कर कहती, वह इंतज़ार करती वो कुछ और कहें... किन्तु वह बात की जगह कोई ना कोई काम ढूंढ लेती।
फोटो भी वो तीन बार देख चुकी है लास वेगस, सेन फ्रांसिस्को, ग्रांन कनेरी सभी फोटो बहूत खूबसूरत हैं ...वो जब भी फोटो देखती है कई सवाल दिमाग में घुमते हैं नज़रें ढूँढती हैं वो सब जिसकी आपेक्षा थी पर फोटो में जैसे जिगसा के कई पीस गायब हों ...
"भाभी! नुपुर और नकुल को शेरवानी ठीक आई? देवियानी को बालियाँ कैसे लगी? आज वह पूछ ही बैठी बिना कोई जिक्र आये और फोटो देखे।
वो कुछ देर चुप रही मैं उनकी और उत्सुकता से ताकती रही... वह धीरे से बोली "मुझे नहीं मालूम हम उनसे नहीं मिले, दरअसल हम होटल में ठहरे थे भाई ने हमारा वहीँ प्रबंध किया था उसके घर में काम चल रहा था, वैसे भाई ने हमारे साथ काफी समय बिताया, सप्ताह अंत में तो हमारे साथ ही रहा ... और उसी ने हर जगह घुमाया फिराया" ... भाभी उसकी और ना देख कर कुर्सी पर पड़े कपड़े समेट रही थी कहीं मैं उनकी आखों की नमी ना देख लूं मैं चाय बनाती हूँ कहकर रसोई की और चल दी। उसे समझ नहीं आया वो क्या करे वह उनके पीछे ना जाकर वहीँ चुपचाप बैठी रही।
चाय पीकर घर लौटने पर यही सोचती रही जिगसा के पीस फोटो से ही नहीं उनकी जिंदगी से भी हमेशा के लिए गायब हो गए हैं....
फोटो - गूगल सर्च इंजन से