तुम मेरी प्रेरणा हो, आखों का सबसे सुंदर ख्वाब हो, आत्मा की आवाज़ हो, हथेली पर जिंदगी की लकीर हो, मेरी धरकनो का नाद हो, नदी की तरह मेरी रगो में प्रवाहित हो, पतझड़ के पेड़ का वसंत हो, ताजी हवा का झोंका हो, घास पर ओस की बूंद हो, प्रभात की पहली किरण हो, किसी सूफी का लिखा सोल्हवी सदी का पुराना गीत हो, मेरी ना लिखी कविता हो, मेरी जलती आखों पर गिला फोहा हो, रेगिस्तान में पानी की धार हो, खिड़की पर उगता चाँद हो, मानसून की पहली बारिश हो, मिट्टी की सोंधी खुशबू हो, सुबह रेडियो में बजता आलाप हो, मेरी हर पढ़ी किताब की नायिका हो, पत्ती और सूरज की बीच होती फोटो सेन्थसिस हो, प्रार्थना से मिला वरदान हो, मेरी चाहत, मेरी जिंदगी, मेरी पहचान, मेरी धरती, मेरा आकाश हो....
सुनो! अब कोई और है वो सब कुछ जो तुम थी...
5 comments:
bahut accha likha hei aapne,
ab aap hi hein jo kabhi ghalib , kaifi aur bacchan the.
झकास है जी.........एकदम बिंदास ....बोले तो क्या स्टाइल है..अपन बोल्ड है
are..badi bedardi se fire kiya. bechari janeman...
दिल से बस आह ही निकली है इसे पढ़कर...ऐसा सच...
क्या बात है! फ़ायर्ड...येस!
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