वो क्या चाहता है?
उसे ख़ुद नही मालूम, पर वो नही जो मैं चाहती हूँ ।
तुम क्या चाहती हो?
थोड़ी सी जगह अपने लिये, थोड़ी सी ताज़ा हवा आत्मा लिये ।
वो एक अच्छा इंसान है।
कोई शक नही, पर घर में घुसने से पहले जूतों के साथ इंसानियत भी देहलीज पर रह जाती है ।
उससे बात करके देखो?
कोई फायदा नही।
क्यों?
उसे औरत देखाई नही देती और पत्नी की तो आदत होती है दूसरो को देख बहकने की...
पर तुमने तीस साल साथ गुजारे हैं अब क्या हुआ?
आपस के अन्तर से परिचित थे पर उन्हें जीने का समय नही मिला और अब समय भी है और बच्चों के जाने के बाद उनके लिये घर में जगह भी है।
आर्थिक रूप से आत्मनीर्भर हो तुम्हारे पास चोइस है।
हाँ है तो...
क्या तुम समाज से डरती हो?
नही...
पतिव्रता के ढोंग के फायदों का नुकसान उठा सकती हो ?
हाँ...
तो फ़िर देर क्योँ ? आंसू पौछों और दलदल से निकलो।
नही कर सकती...
क्यों ?
उसका दलदल और गहरा हो जायेगा और दुनिया के समस्त कमल से उसका विश्ववास उठ जायेगा।
तो तुम उसकी कमल हो...
नही, सूखता दलदल ....
फोटो - गूगल सर्च इंजन से
13 comments:
मैडम काफी अच्छा लिखा है, दलदल का चित्रण जिस तरह से किया है वो भी कमल के साथ खूब है... लेकिन इस दलदल को क्यो हो उस कमल की जो निकलना चाहता है दलदल से...
aam insaan ki yahi dastan hai,bahut achhi lagi rachana badhai
तो फ़िर देर क्योँ ? आंसू पौछों और दलदल से निकलो।
नही कर सकती...
क्यों ?
उसका दलदल और गहरा हो जायेगा और दुनिया के समस्त कमल से उसका विश्ववास उठ जायेगा।
तो तुम उसकी कमल हो...
नही, सूखता दलदल ....
bahot hi achha likha he....regards
नए साल का हर पल लेकर आए नई खुशियां । आंखों में बसे सारे सपने पूरे हों । सूरज की िकरणों की तरह फैले आपकी यश कीितॆ । नए साल की हािदॆक शुभकामनाएं-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
कुछ रहे वही दर्द के काफिले साथ
कुछ रहा आप सब का स्नेह भरा साथ
पलकें झपकीं तो देखा...
बिछड़ गया था इक और बरस का साथ...
नव वर्ष की शुभ कामनाएं..
नववर्ष की हार्दिक ढेरो शुभकामना
कमल और दलदल के बहाने दिल की आपकी उदगार सोचने को मजबूर करता है, और आपकी अभिव्यक्ती से परिचित भी करता है, कितना कड़वा लगता है ये हकीकत.
कलम से आपने दिल के भाव को उदगार किया है, दिल में हलचल छोर रहा है.
नीरा जी
रिश्ते में रोज नई गाँठ बांधना ..उसे कसना ......कुछ तस्वीरे ऐसी भी है.....ओर वे बहुत ज्यादा है...
pehle jaldi me aapka post nahi pdha tha aaj pdha ... bhot gahri bat kahi hai aapne aurat ki yahi to khani hai na vah daldal se nikal pati hai na daldal me sans le pati hai....!!
बहुत गहरी बातें
मुझे अन्य टिप्पणीकारों से कोई निस्बत नहीं, इस बार मैं फ़िर फंस गया क्योंकि आपने मेरी बात कही " मैं वर्तुल या यूँ कहूं कि जब वृताकार दौड़ रहा था तब मुझे ये समझ नहीं आया कि आगे मैं हूँ या फ़िर वो जिसके पीछे मैं " कुल जमा आपके निहायत खूबसूरत शब्दों का अर्थ आपके पाठकों ने अपनी सुविधानुसार लगाया , कई ने तो आमंत्रित किया कई मशविरे ले कर आए कुछ के लिए ये आम इंसान की बात निकली, लेकिन मैं न जाने क्यों उलझ गया, फ़िर भी पोस्ट अवश्य अच्छी है भावनाओं का संसार बुनती है जहाँ प्यार सिर्फ़ सच्चा प्यार है भौतिक नहीं।
Post a Comment